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बापू और अध्यात्म - हिंदी
‘सन्मार्ग पर चलते हुए व्यवहार करते रहना और इसी तरह व्यवहार करते करते अंतर्मन को धीरे-धीरे परमेश्वरी मन के प्रवेश के लिए खाली करते रहना ही अध्यात्म है;
‘सन्मार्ग पर चलते हुए व्यवहार करते रहना और इसी तरह व्यवहार करते करते अंतर्मन को धीरे-धीरे परमेश्वरी मन के प्रवेश के लिए खाली करते रहना ही अध्यात्म है;
सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापु कहते हैं -मैं योद्धा हूँ और जिस-जिसको अपने प्रारब्ध से लड़ना है, उन्हें युद्धकला सीखाना, यही मेरा शौक है।मैं तुम्हारा मित्र हूँ।
‘भक्त’ का अर्थ है ‘जो भक्ति करता है वह’ और ‘जो भक्तिभाव चैतन्य में रहता है वह वास्तविक (सच्चा) भक्त है’ यानी ‘श्रद्धावान’ है,