॥ हरि ॐ ॥
आज हमें देखना है कि मुलाधार चक्र से सहस्त्रार चक्र तक हमारे व्यक्तिगत जीवन का, वसुंधरा का, हमारे कार्य का, हमारे स्थान का, गृह का, पुरे विश्व का जो संबंध है.. वो संबंध ये साबित करता है, कि एक दुसरे के साथ जो भी हमारा रिश्ता है, नाता है, जो कार्य-पध्दती है, कार्य प्रणाली है; उससे हमें क्या मिलता है! इस उपासना से, श्री शब्द ध्यान योग से हम क्या प्राप्त कर सकते है!
हम आरोग्य प्राप्त कर सकते है। मन का, तन का, शरीर का, जीवन का, धन का, शान का; सभी चीजों का आरोग्य प्राप्त कर सकते है.. फिर, What is the basic? इससे 'मुल' में क्या जाता है? 'मुल' में हमारे पास क्या होना चाहिये? हम, कभी जो हमें मिला है, उस पर हम लोग संतुष्ट नहीं होते; जो नहीं मिला है, उसके बारे में सोचते है.. ऐसा खट्टा चेहरा लेकर घुमते है कि 'भगवान ने हमें कभी कुछ नहीं दिया'.. बापू ने 10 चीजें बतायी, 13 दिसंबर के दिन! लेकिन शुरुआत में उत्साह से किया और धीरे-धीरे छोड दिया। हमारे खुद के पास ऐसी शान होनी चाहियें, कि 'अगर सादा ड्रेस भी पहना हो; तो स्टँडर्ड दिखना चाहिये। इसके लिये ये शान, self-confidence कहाँ से आता है? इन्सान को सब से बडी चीज भगवान ने दीं है, वो है INTEGRITY.. means 'the quality of being honest & having strong moral principles'
इस विश्व में आपको, जिसने ये दुनिया बनायी, उसी के नियमों से हमें चलना होगा।
हममें प्रामाणिकता, सच्चाई, इमानदारी ये गुण होने चाहिये और हमारे आदर्श तत्व, नितिमान होने चाहिए... तो ही जीवन सुखी होगा। हमें लगता है, कि झुठ से ही बहुत पैसा मिलता है! ऐसा होता, तो लोग डॉक्टर के पास क्यों जाते? पढते क्यों? The state of being whole & undivided; ऐसी स्थिती होनी चाहिए... लेकिन हम 'अपुर्ण' होते है! कभी पुर्णांक नहीं बन पाते.. उमर के 70 साल में भी लगता है कि 'कुछ बाकी रह गया'... लेकिन भगवान चाहता है कि, आपका जीवन Integrity से परिपुर्ण हो और undivided हो.. टुकडे करने का काम दिती का है..जिससे सारे दैत्य निर्माण होते है.. INTEGRITY कि व्याख्या जीवन के लिये है, परलोक के लिए नहीं! दिती तत्व को हमें जीवन में स्थान नहीं देना है; तो अपने आप ही, दैत्य निर्माण नहीं होंगे।
आदितत्व, यानी Integrity! वो भगवान सभी चमत्कार करने के लिए तैयार है! लेकिन जिसने अपने मानवी तौर पर उसकी सहायता से प्रयास शुरू रखे है, उसके लिये!
हम बोलेंगे "असेल माझा हरि, तर देईल खाटल्यावरी" तो ऐसे नहीं होनेवाला... हम कोशिश करेंगे, तो ही चमत्कार होंगे। हमें भगवान का नाम लेते हुए Integrity को जीवन में लाना है। मैं जानता हूँ, ये कलियुग है, यहाँ प्रामाणिकता के साथ जिना, impossible है। गलतियाँ होगी! लेकिन.. you are judged not by your performance, but by your faith.
कम-से-कम भगवान के साथ तो इमानदार रहो.. that is the basic... खुद के साथ और भगवान के साथ सच्चाई से रहो... हमें पुछना चाहिए, क्या हम भगवान और खुद के साथ ईमानदार है? इस सवाल को पुछते पुछते आगे बढना; INTEGRITY है! तो ही आप खंडीत नहीं होते! चाहे सुख आये या दुख; मेरे पास शांती, समाधान, बल होना चाहिये..
Without INTEGRITY सब कुछ फेल होता है.. हमारे जीवन में आदितीतत्व का होना महत्वपुर्ण है.. इतना अप्रतिम सौंदर्य है, वो बताना चाहती है..उसके बल तारों, नक्षत्रों से बने है, वो सौंदर्य हमारे जीवन में बाँटने के लिये तैयार है.. वो और उसका बेटा, पुर्णता देने के लिये तैयार है।
हमें सिर्फ भगवान और खुद से इमानदार रहना है।
We are murdering ourselves only.. खुद की खुशी, भक्ती, पुण्य, प्रेम, सद् गुण; इसका हम कितनी बार वादा करते है! क्या ये murder नहीं है? हमें जानना चाहिये, हम अगर 100 साल भी जियें, तो भी एक ना एक दिन तो सब को जाना ही है। अभी 9 बजकर 2 मिनट हुए है.. लेकिन एक पल ऐसा होगा, कि 9.02 बजे "मैं और आप इस पृथ्वी पर नहीं होंगे" राम, कृष्ण को भी देह त्यागना पडा था। कोई अमर नहीं है।
हम पढाई, शादी, प्यार, जॉब; जवानी में सब करते है, तो भक्ती बुढापे में क्यो? INTEGRITY is the principle of life.. तो हमें खुद के और भगवान के साथ प्रामाणिक रहना है, तो ही हमारा आत्मविश्वास बढेगा.. जब आपको कोई प्रणाम करता है, तो आपका पुण्य लेकर जाता है... इस दुनिया में कभी सैतान का राज नहीं हो सकता। चाहे, कलयुग हो! 'राज' सिर्फ मेरी माँ का ही है।
आज से श्री शब्द ध्यान योग से हमारे सब चक्रो में ये INTEGRITY आनेवाली है.. हमें सिर्फ भगवान और खुद से इमानदार रहना है..
॥ हरि ॐ ॥