॥ हरि ॐ ॥
आज हमें देखना है कि मुलाधार चक्र से सहस्त्रार चक्र तक हमारे व्यक्तिगत जीवन का, वसुंधरा का, हमारे कार्य का, हमारे स्थान का, गृह का, पुरे विश्व का जो संबंध है.. वो संबंध ये साबित करता है, कि एक दुसरे के साथ जो भी हमारा रिश्ता है, नाता है, जो कार्य-पध्दती है, कार्य प्रणाली है; उससे हमें क्या मिलता है! इस उपासना से, श्री शब्द ध्यान योग से हम क्या प्राप्त कर सकते है!
हम आरोग्य प्राप्त कर सकते...