२२ दिसंबर २००६, मेरे लड़के श्रेयस का एन.डी.ए (नेशनल डिफेन्स अकेडमी) में सिलेक्शन होने का पत्र आया| २६ तारीख को हम उसे क्षडकवासला के कैम्प में छोड़कर आये| शरीर का दुबला, पतला, व्यायाम भी कभी ज़्यादा नहीं किया फिर भी केवल परमेश्वरी कृपा और इच्छाशक्ति के चलते उसकी नियुक्ति हो गयी थी| वहॉं के कठोर प्रशिक्षण के बारे सुनकर, मन पर काफी बोझ लेकर हम घूम रहे थे| मात्र १७ वर्ष की आयु, मॉं को छोड़कर कहीं अलग रहा नहीं, इत्यादि मातृसुुलभ विवंचनायें मेरे मन में थी| वह उस प्रशिक्षण को सकुशल पूरा कर सके, इसके लिये सभी मंदिरों में जाकर मनौली मान रही थी| हर आ़ठ दिनों में जाकर उससे मिलना तो जारी ही था|
- सुरेखा गायधनी