॥ हरि ॐ ॥
पितास्वरूप प.पू. बापू व मातास्वरूप नंदाईके चरणो को वंदन कर, मै अपना अनुभव सुना रहा हू।
मेरी और मेरी पत्नी की दिनचर्या शुरु होती है, प.पू. बापू के नाम जाप से; क्योकि उनके नामस्मरण से मन को अविरत आनंद मिलता है, दिन भर सारे कार्य व्यवस्थित रुप पूर्ण हो जाते है, प.पू.बापू को अपने भक्तों पर आने वाले संकटो की पूर्व पहचान होती है। ऐसे हमारे बापू के हम पर कितने ऋण है! किसी भी श्रद्धावान के पुकारते ही बापू उसे संकट से बचाने के लिये तुरंत आते है; इस बात का मुझे आया हुआ एक अनुभव।
गुरुवार दि. 23-9-2010 के दिन मै और मेरी पत्नी स्नेहा, सद्गुरु बापू के प्रवचन के पश्चात घर जाने के लिये रिक्षा में बैठे, रात करीब 12.45 को जब रिक्षा घाटकोपर के जगडूशा नगर के नॉर्थ बॉम्बे हायस्कूल के पास आई तो अचानक कही से एक कुत्ता रिक्षा के सामने आ गया। रिक्षाचालक का कुत्ते को बचाने की कोशिश में रिक्षा पर से नियंत्रण बिगड गया और हमारी रिक्षा पलट गई।
हमें अनुभव हुआ कि कुछ भयंकर घटित हो रहा है अत: हम दोनो जोर से बापूऽऽऽ कहकर चिल्लाए और क्या आश्चर्य? रिक्षा पूरी तरह से पलटने के बावजूद भी हम रिक्षा के अंदर ही रहे, और चालक बाहर! परंतु बापूकृपा से उसे भी कोई चोट नही पहुंची। हम दोनो पूर्णत: सुरक्षित है यह देखकर वह बोला ‘‘भाई! आपकी भक्ती श्रद्धा बहुत दृढ है, इसीलिये आज हम बच गये। पर हम जानते थे की हमारी भक्ती, श्रद्धा से अधिक बापू की करुणा के कारण ही हम आज बच गये।
मैने हसंते हुए उस रिक्षाचालक से कहा यह तो हमारे बापू की लीला है इसीलिये जान पर, बन आई थी जो हाथ पर निभ गई। मेरी पत्नी स्नेहा के हाथ पर हलकी सी चोट थी पर बापू ने संकट को छोटा, हलका कर हमारे प्राणों की रक्षा की; यह तो पक्का है।
हम दोनो घर आये। हाथ में आई चोट के कारण स्नेहा को थोडी पीडा हो रही थी। हमने बापू नाम का जाप जारी रखा था। कुछ देर बाद दर्द भी कम हो गया। ङ्गिर भी लोगों के कहने पर हम दूसरे दिन डॉक्टर के पास गये और उनके कहेनुसार एक्स रे निकाला । डॉ. ने बताया की कोई अंदरूनी चोट नही है। यह सब प.पू. बापू की ही कृपा है।
मेरे, मेरी पत्नी और रिक्षाचालक के प्राणों को बचाने वाले प. पू. बापू के चरणों में एक ही प्रार्थना है, कि हमें सदैव अपनी भक्ती सेवा में रखो। हमारा और हमारे बच्चो (संकेत व सायली) का प.पू. बापू को कोटी कोटी प्रणाम।
ज्याने धरिले हे पाय। आणि ठेविला विश्वास॥
त्यासी कधी ना अपाय । सदा सुखाचा सहवास॥
(जिसने प.पू. बापू के चरणों को थाम लिया और उनपर विेशास रखा, उसे कभी भी कोई कष्ट, नुकसान न होकर सदा सुखों का सहवास ही प्राप्त हुआ है। इन बोलों का मुझे प.पू. बापू ने प्रत्यक्ष अनुभव दिया है।
॥ हरि ॐ ॥