॥ हरि ॐ ॥
11 जुलाई 2006 को गुरुपौर्णिमा ! यह गुरु की अपरंपार कृपा मिलने का दिन है । उस दिन सद्गुरु ने गुरुकृपा के साथ जीवनदान भी मेरी झोली में डाला । यह दिन मेरे लिए सदा स्मरणीय है । जब हम पर संकट आता है तब सद्गुरु ही हमें इससे बाहर निकालते हैं व इस संपूर्ण कालावधि में वह हमारे साथ होता है ।
कांदिवली में हुए गुरुपौर्णिमा उत्सव में मैं व मेरी बेटी दोपहर 3 बजे तक सेवा में थे । सेवा समाप्त होते ही सीधे बापू नंदाई का दर्शन लेने हॉल में पहुँचे तब अनिरुद्ध चलिसा का पठन चल रहा था । मुझे लगा बापू, नंदाई सिर्फ मेरी ही तरफ देख रहे हैं व इसी जोश व आनंद में मैंने अनिरुद्ध चलिसा कहा । आगे आनेवाले समय में क्या होने वाला है केवल वे ही जानते थे । व इसी हेतु उन्होंने मुझे अनिरुद्ध ऊर्जा भी प्रदान की ।
साईराम जप स्थान पर तीन प्रदक्षिणा लगाई व वहाँ से घर जाने के लिये पैर उठ ही नहीं रहे थे । शाम 5.30 बजे कांदिवली स्टेशन से दादर की ट्रेन पकडी । यद्यपि बापूभक्तों हेतु कांदिवली -ठाणे बससेवा उपलब्ध करवाई गई थी तथापि हमने ट्रेनसे जाने की गलती की । ट्रेन जब सांताक्रूज स्टेशन में आई तो कुछ ही अंतर पर विस्फोट की आवाज आई व महिलाएँ ट्रेन से बाहर देखने लगी । मैंने दरवाजे से बाहर देखा तो प्लॅटफॉर्म पर भीड़ ही भीड़ , बम विस्फोट होने की खबर कानो तक आई । हम घबराकर ट्रेन से उतरे । दूसरी दिशा से आनेवाली ट्रेन में विस्फोट होने की बात एक व्यक्ति से पता चली । यदि यह घटना कुछ मिनट बाद होती तो हम व हमारी ट्रेन भी शायद इसी चपेट में आते और बस ........... बापू ऽ यही मुँह से निकला ।
घटना स्थल को देखने की भी हिम्मत न हुई । परिस्थिति की गंभीरता को देखकर व ट्रैक से गाडी जाने की जगह भी न थी । अतः टॅक्सी से घर जाने का फैसला किया । ब्रीज पर भी प्रचंड भीड़ थी । तब एक साथ चल रहे आदमी ने बड़ी कारगर सलाह दी ।
एक बापूभक्त जो शाम को बापूजी के दर्शन हेतु कांदिवली जानेवाले थे, मैंने उन्हें फोन पर घटना की जानकारी दी । तब वे बोले, ‘‘आप वहाँ से कुर्ला तक रिक्शा से पहुँच कर ट्रेन पकडे ।’’ उत्सव स्थल की सहेलियों को भी फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया किंतु सभी लाइनें बंद हो गई थी । वह एक ही कॉल लग सका ।
सांताक्रूज स्टेशन के बाहर आए रास्ते खाली थे । रिक्शा बस टॅक्सी सभी बंद हो गए थे । मैं बापू को सतत पुकार रही थी । एक भी रिक्शावाला यदि पास आता तो पुलिस उसे रिक्शा बंद करने को कहता । टेन्शन बढ रहा था । तभी दूसरे विस्फोट की आवाज आई । अब वहाँ से निकलना था किसी भी तरह तभी एक रिक्शा आई, बोला, ‘जल्दी अंदर बैठो ।’ व हम वहाँ से निकले । कुछ अंतर पर खडे पुलिस ने रिक्शा खाली करने को कहा । इतने में दूसरा पुलिसवाला आया बोला, ‘‘जाने दो ।’’
जब रिक्शा स्टेशन के बगल से गुजर रही थी तब एक ओर धमाका हुआ व साथ ही लोगों के चिल्लाने की आवाजें । मैं इतना घबरा गई थी कि श्रीघोरकष्टोद्धरण स्तोत्र भी याद नहीं आ रहा था । सिर्फ ‘बापू ऽबापू’ कर रही थी । रिक्शावाले ने बताया कि ये चौथा विस्फोट था । आगे एक जन समूह हाथ में कांच की बोतलें लेकर खड़ा था । दूसरी ओर से एक व्यक्ति आया बोला, ‘‘लेडिज है जाने दो ।’’ मानो बापू का अनिरुद्धकवच ही रिक्शा के दोनों ओर से हमारी सुरक्षा कर रहा था। यदि वह हमें वहीं पर उतार देता तो आसपास कोई पहचानवाला या रिश्तेदार भी नहीं रहता था । एएडीएम ऑफिस फोन करे तो फोनलाई बंद ! अब हमारी रिक्शा आगे बढ रही थी व बगल के स्थानकों से पृष्ठभूमि में धमाकों की आवाजें आ रही थी । एकदम फिल्मी स्टाईल में । रिक्शा मालक हमें सुरक्षितरुप से ले जा रहा था ।
ऐसे समय में रिक्शावाले ज्यादा पैसे माँगते हैं । ये पता था व मेरे पास मात्र 300 रुपये थे । अब क्या करेंगे ? वक्त पडा तो हाथ में रखा मोबाईल रिक्शावाले को दे देंगे ।ऐसा बोला । परंतु कुर्ला तक 200 रुपये ही लिए । बापू ‘थैंक्स’ इतना ही मुँह से निकला ।
स्टेशन शांत था सभी महिलाएँ टेंशन में दिख रही थी । सबके मोबाईल बंद थे । हम वहाँ से दादर की ट्रेन में चढे । बाद में पता चला की 7 जगह बम विस्फोट हुए ।
हमारा बाल भी बाँका न हुआ व हम सुरक्षित घर पहुँचे । घर आने के बाद कुछ सूझ न रहा था । सिर्फ अश्रू बह रहे थे व मनःपूर्वक बापू को ‘थैंक्स’ कहा ।
बापू, नंदाई का उत्सव स्थल पर मुझे देखना, केवल उस व्यक्ति का फोन लगना व उसकी सलाह फायदेमंद होना यह सारी बापू की ही लीला ! बाद में पता चला कि घटना की जानकारी उत्सव स्थल आते ही बापूजी ने स्टेज से घोषणा की ‘‘घबराइए मत आप सभी सुरक्षित घर पहुंचेंगे ।’’
॥ हरि ॐ ॥