॥ हरि ॐ ॥
प.पू. सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध बापूजी को कोटी कोटी प्रणाम ! भक्तों के कल्याण व उन्हें पापमुक्त करने वे इस धरती पर अवतरित हुए हैं । उन्होंने हमसे जगन्नाथ उत्सव, त्रिपदा गायत्री उत्सव, दत्तयाग, श्री अवधूतचिंतन उत्सव की रामेश्वर काशी यात्रा, बारह ज्योर्तिलिंग के दर्शन जैसी अनेक चीजें करवा ली । बापूजी को हम भक्तों की कितनी चिंता है कि हमें यह सब कुछ यहाँ श्रीहरिगुरुग्राम में ही मिल गया।
श्रीअवधूतचिंतन उत्सव के पहले ही दिन दर्शन हेतु गया था । वहां मुझे एक सूप में सुगंधी पुष्प, औदुंबर के पत्ते, पलाश के पत्ते, कंकड लकडियाँ दी गई । अंदर 24 गुरुओं की प्रदक्षिणा कर फूल व पत्ते अर्पण कर, बचे हुए कंकड व लकडियाँ श्रीअनिरुद्ध द्वारा स्थापित छलनी में डाला । यहां भी बापू हमसे क्या करवाते हैं ? बापूजी को हमारा नियतिचक्र बदलना है ।
तत्पश्चा त सर्वतोभद्र कुंभ यात्रा में काशी से गंगाजल भर, रामेश्वर के लिंग को अभिषेक किया । फिर रामेश्वर के पास में कन्याकुमारी का जल, काशी विश्वेश्वर को अर्पण किया । यह करते समय अत्यंत आनंद की अनुभूति हुई। इसके बाद हमें एक क्लासरुम में बिठाया गया । मेरे साथ कुछ अन्य भक्त भी थे। यहाँ बापू सभी भक्तों से द्वादश ज्योतिर्लिंग कैलासभद्र महापूजन व आरती करवा लेने वाले थे । क्लासरुम में टी.व्ही. लगाया गया था । जिसमें बापूजी नंदाई व दादा कावड लेकर भक्तों के साथ जा रहे थे । मन में आया वे भक्त कितने भाग्यवान हैं जो यह इव्हेंट बापू के साथ कर रहे थे ।
फिर मन में विचार आया, मुझे बापूजी के साथ आरती का अवसर मिल जाए बस ! इतने में हमारे क्लास को ज्योतिर्लिंग पूजन के कक्ष में भेजा गया । लेकिन मेरे पीछे के भक्तों को रोका गया। भक्तिगंगा के कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘आप भाग्यवान हैं क्योंकि हम बारह लोगों को ज्योतिर्लिंग के सामने आरती हेतु खड़ा किया व सामने बापू नंदाई और दादा खड़े थे। व आरती आरंभ हुई । हम सभी को बेलपत्र अर्पण करने व डमरु बजाने को कहा गया । इस क्षण का आनंद अवर्णनीय था । इस तरह से बापू ने मन की इच्छा पूर्ण की । बापू प्रवचन में हमेशा बताते हैं कि, ‘‘मुझे आपका प्रेम चाहिए, आपने यदि मुझे प्रेम से पुकारा तो उसे मैं प्रतिसाद दूँगा ही ।’’
ऐसे मेरे विठ्ठल माऊली, साई अनिरुद्ध को कोटी कोटी प्रणम !!!
॥ हरि ॐ ॥