॥ हरि ॐ ॥
14 से 18 नवम्बर 2011 के दौरान मुझे दिल्ली जाना पडा। मुम्बई से चलते समय ठंड नहीं थी इसलिए मैं स्वेटर नहीं ले गया। हवाई जहाज में चढते ही अन्य यात्रियों को स्वेटर पहना हुआ देखा तो मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। दिल्ली की ठंड में गरम कपडों के बिना पांच दिन रहने के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता था। मगर फिर खयाला आया कि, अब जब मैंने स्वेटर लिया तो नहीं है तो जो होगा देखा जाएगा। बापूजी समर्थ हैं हमारा खयाल रखने के लिए, इस सोच से मेरा धीरज बंधा।
दिल्ली पहुंचने पर सुबह के 9 बजे हवाई जहाज से उतरा तो बाहर की हवा ठंडी, मगर सुकूनदायी महसूस हुई। दिनभर ठंड महसूस ही नहीं हुई। मगर मैं जिस ऑफिस में था, वहां के लोगों को दोपहर के समय अचरज हो रहा था कि आज अचानक ठंड कम कैसे हो गई! वह सारा सप्ताह ठंड कम ही थी।
शुक्रवार को, अर्थात 18 नवम्बर के दिन शाम को मैं मुम्बई लौट आया, मगर मेरे साथ जो दो मित्र गए थे वे दिल्ली में ही रुक गए। अचरज की बात तो यह है कि मुझे शनिवार को उनका फोन आया कि, शुक्रवार की शाम से दिल्ली में जबरदस्त शीत लहर आई हुई है। यह सुनकर मैं प्रभावित हो गया और मुझे विश्वास हो गया कि मेरे भक्तवत्सल बापूजी ने मेरे लिए ही शीत लहर को रोके रखा था। मेरे बापू पर मेरा विश्वास सार्थक साबित हुआ और मैं गदगद हो गया। वास्तव में यह अनुभव सभी का विश्वास बढानेवाला है।
मैंने निश्चय किया है कि अब भविष्य में मौसम का अनुमान करके ही यात्रा के लिए निकलूंगा। उस पर भी यदि कोई बात अपने बस में न हो तो बापूजी हमारा खयाल अवश्य रखेंगे!
॥ हरि ॐ ॥