॥ हरि ॐ ॥
जब डॉक्टरी प्रयत्न थक जाते हैं, तब उस सद्गुरु के सिवा कौन हमारा सहारा है ? प्रारब्ध के जाल में फँसे हम सामान्य व्यक्ति ! उस एक सद्गुरु के सिवा कौन हमें उस प्रारब्ध से मुक्त करेगा ? और वही होता है....... आज जब से हम बापू की छत्रछाया में आये हैं, तबसे अनेक बार ऐसे क्षण आये हैं कि हम अपने प्रारब्ध के कारण हम मानों पर्वत के सिरे तक पहुँच गये.... परंतु सद्गुरु ने नीचे गिरने नहीं दिया । ऐसा ही एक अनुभव मैं आप सभी को बताना चाहती हूँ ।
मेरा बेटा अतुल एस.टी. में काम करता है । सब कुछ ठीक चल रहा था । परंतु 11 फरवरी का दिन हमारे लिये बहुत बुरी खबर लेकर आया । दोपहर डेढ़ बजे एस.टी. के दो कर्मचारी हमारे घर आये और बोले कि अतुल के पैरों पर जॅक गिर गया है और आप तुरंत दवाखाने चलिये । मैं और मेरी बहु तुरंत शहापुर के सरकारी अस्पताल में गये । वहाँ गंभीर हालत में अतुल को बाहर स्ट्रेचर पर ही रखा था । तब हमें पता चला कि जख्म पाँव पर नहीं बल्कि सिर पर हुई है । उसकी हालत देखकर मै तो घबरा गई । मन ही मन बापू का जप चालू कर दिया । वहाँ के डॉक्टरों ने उसे तुरंत ठाणे ले जाने को कहा । मैं और एस.टी. के 7-8 कर्मचारी उसे लेकर ठाणे पहुँचे । वहाँ के डॉक्टरों ने कहा कि इसे केईएम या सायन ले जाईये । फिर हम केईएम पहुँचे ।
संयोग से हमारे एक नजदीकी रिश्तेदार जो वहाँ डॉक्टरी का कोर्स कर रहे थे, वे भी हाजिर हो गये । वहाँ अतुल का सीटी स्कॅन, एक्स-रे, एमआरआय, इसीजी इत्यादि होते होते 1 से 1.30 घंटा हो गया । तब तक उसका बी.पी. कम हो गया था । वहाँ के डॉक्टर मुझसे बोले, ‘‘आपके बेटे की हालत बहुत गंभीर है । ऑपरेशन के दौरान भी कुछ भी हो सकता है । उसकी मौत भी हो सकती है । इस स्थिती में कोई चमत्कार नहीं होगा सिर्फ 5% गॅरेंटी है ।’’
डॉक्टर द्वारा यह कहे जाने पर मेरे पैरों तल से मानो जमीन ही सरक गई । अब सिर्फ बापू का ही आधार था । मैंने मन ही मन बापू से प्रार्थना की, ‘‘बापू ! अब आप ही सब करनेवाले हो, आप ही डॉक्टर हो, मेरे बेटे का ऑपरेशन आप ही करो । ’’ मैंने वहाँ के डॉक्टरों से, ‘‘जैसा उचित हो वैसा करो ।’’ ऐसा कहा । तब तक अतुल की तबियत और भी गंभीर हो चली थी । उसे साँस लेने में भी तकलीफ होने लगी । अतः डॉक्टरों ने ऑक्सिजन लगाया और मुझे कहा कि जब श्वसन नॉर्मल रुप से होगा, तभी ऑपरेशन करेंगे ।’’
उस समय तक अतुल के पिताजी भी वहाँ आ गये थे । अपने बेटे की ऐसी हालत देखकर वे रोने लगें । मैंने ही उन्हें धीरज बंधाया कि आप धीरज रखो, बापू हमारे साथ हैं । उन पर विश्वास रखो । हमारे बेटो को कुछ नहीं होगा ।’’
सद्गुरुतत्त्व जब हमारे साथ होते हैं तब वह अपनी कुछ न कुछ निशानी दिखाते जरुर हैं । हॉस्पिटल में साईबाबा का एक फोटो था । जब मेरा ध्यान उस ओर गया तब मुझे बहुत धैर्य / शांती मिली । हमारे बापू यहीं हैं, अतः सब ठीक होगा, ऐसा लगने लगा ।
रात 11 बजे अतुल को (ओ.टी) ऑपरेशन थिएटर में ले गये और रात 1.30 बजे बाहर लाये । डॉक्टर ने बताया कि आपके बेटे के मस्तिष्क में 200 मि.लि. खून जम गया था । उसे निकाल दिया गया है ऑपरेशन सफल हुआ है, परंतु फिर सीटी स्कैन करना पड़ेगा । यदि रक्त वहाँ पुनः जमा गया होगा तो ऑपरेशन भी पुनः करना होगा । मेरे मन में बापू का जप और हृदय में मानों धड़धड़ हो रही थी । बापू ने मुझे ये तनाव झेलने की हिम्मत भी दी थी ।
तीसरे दिन शनिवार रात 12 बजे डॉक्टर ने हमसे कहा कि, ‘‘अतुल का सीटी स्कैन करना पडेगा ।’’ मुझे फिर से छाती में धड़धड़ होने लगी । सीटी स्कैन हुआ । मेरे साथ मेरी बेटी, दामाद, रिश्तेदार व हितचिंतक मित्र परिवार आदि लोग थे । तीन दिन से किसी को भूख प्यास, नींद नहीं थी । कोई रो रहे थे तो कोई मुझे समझा रहे थे, धीरज बंधा रहे थे।
चौथे दिन दोपहर 12 बजहे डॉक्टर का राऊंड शुरु था । तभी मेरी बेटी जोर से चिल्लाई, ‘‘माँ, इधर आओ !’’ मेरी छाती मानो बैठक गयी । मैं दौड़ती हुई अंदर गई । डॉक्टर बोले, ‘‘मौसी आपका बेटा बच तो गया है, परंतु उसके सिर के दाएं भाग में जोरदार चोट लगने के कारण उसका बायाँ पैर और हाथ काम करने लायक नहीं बचे हैं । शायद अतुल जिंदगी भर ऐसा ही रहेगा । अभी खतरा पूर्ण रुप से टला नहीं है । जब वह कृत्रिम रुप से ऑक्सिजन न लेते हुए, अपनेआप श्वसन करेगा, तभी खतरा पूर्णरुप से टल गया है ऐसा कहा जा सकता है ।’’
यह सुनकर मेरी आँखों के सामने तो जैसे अंधेरा छा गया । बहु, 8 साल का पोता, 6 साल की पोती....... परंतु मेरा बापू पर पूर्ण विश्वास था । जब वे उसे मृत्यु की दाढ़ से बचा कर लाये हैं तो वे उसे पूरी तरह ठीक करेंगे ही ! यह मेरा विश्वास था । मैंने बापू से प्रार्थना की कि, ‘‘बापूराया, मेरे पोते और पोती की ओर देखकर मेरे बेटे अतुल को पूरी तरह ठीक कर दीजिए ।’’
इस कालावधी में मुझे जो भी लोग मिले, वे मेरे लिये मदद ही लेकर आये और मुझे लगा मानो उन्हें बापू ने ही भेजा हो । एस.टी. डेपो के कर्मचारियों ने ‘मेरे बेटे की हालत ठीक हो जाये’ इस हेतु महाशिवरात्री के दिन ‘‘महामृत्युंजय जप’’ किया । वहाँ की उदी लाकर अतुल के माथे पर लगाई । इस दौरान हमारा बापू का जप जारी था ।
उसी दौरान एक विचित्र घटना हुई । जब बेटा हॉस्पिटल में था, तब एक बार मैं और मेरी बेटी बाहर बेंच पर बैठे थे । एक 20-22 वर्ष का गोराचिट्टा लड़का हमारे पास आया और हमसे पूछा,‘‘मौसी, मैं बेंच पर बैठ सकता हूँ?’’ मैंने उसे थोडी जगह दे दी । वहाँ बैठे-बैठे उसने अपने सेलफोन पर ‘रामरक्षा’ लगाई, (जो हमेशा उपासना केंद्र पर जैसी बोली जाती है वैसी) मेरी आँखे भर आयी, शरीर पर रोमांच खड़े हो गये । मैंने बापू को प्रणाम किया और बेटी से कहा कि, ‘‘देख, बापू ने शुभसंकेत दिया है । अब हमारा अतुल पूरी तरह से ठीक हो जायेगा ।’’
तभी उस लड़के से हुई बातचीत में मैंने उसे सारी बातें बताई थी । कुछ देर बाद जब वह उठा तो बोला (अपना दायां हाथ उठाकर), ‘‘निश्चिंत रहो, आपका बेटा पूर्णरुप से स्वस्थ हो जायेगा ।’’ मुझे जाने क्यों ऐसा लगा मानो उसके मुँह से बापू ही बोल रहे हों सद्गुरुतत्त्व कब कौनसे रुप में सामने खड़ा हो जाये, बताया नहीं जा सकता ।
15 दिनों में मानो चमत्कार हो गया और अतुल की हालत तेजी से सुधरने लगी । बापू ने ही मेरे बेटे अतुल को जीवनदान दिया । अब वह पूर्णरुप से स्वस्थ है ।
बापू ! जैसे आप मेरे लिये आधार बन साथ में खड़े हुए, उसी तरह सब के साथ खडे रहिये, यहीं आपके चरणों में प्रार्थना !
॥ हरि ॐ ॥