॥ हरि ॐ ॥
मैं शंकर गणपत पाटील । मैं गांव नांदले, पोस्ट. आगरदांडा, तहसील मुरुड (जंजिरा) जिला रायगड का निवासी हूँ। मैं चिंचोली बंदर मालाड (प) के अनिरुद्ध उपासना केंद्र में नियमित रूप से जाता हूँ। मेरी ड्युटी 12 घंटों की होने के कारण मुझे जब भी वक्त मिलता मैं उपासना में जाता रहता हूँ। गुरुपूर्णिमा, अनिरुद्ध पूर्णिमा आदि अवसरों पर सपरिवार परमपूज्य सदगुरु अनिरूद्ध बापूजी के दर्शन हेतु अवश्य जाता हूँ। मेरी पत्नी सपना लडका सूरज, बेटी पूजा तो प्रत्येक शनिवार को उपासना के लिये जाते ही हैं। प्रतिदिन घर में बापू का जप, घोरकष्टोद्धरण स्तोत्र, हनुमान चलिसा का पाठ होते ही रहते हैं।
सर्वसामान्य लोगों के छोटेमोटे सपने होते ही हैं, और मेरे भी थे। मेरा गांव में घर बनाकर कम से कम 15 वर्ष हो चुके थे। घर के सामने ओटला है; उसपर कौलों का छपरा था। ओटले के ऊपर सीमेंट का स्लैब डालकर उसके ऊपर गॅलरी बनाने का मेरा सपना था। परन्तु मेरी आर्थिक स्थिती को देखते हुये मेरी जिंदगी में मेरा यह सपना साकार होगा कि नहीं इस बात का शक था।
मैं प्रतिदिन पूजा करते समय बापूजी से पूछा करता था कि बापू मेरा यह सपना कब पूरा होगा?
वास्तव में सद्गुरु को हमारे मन में चल रही सभी बातों की खबर होती ही है और वे हमारी सभी उचित इच्छाएं पूरी करते ही हैं; परन्तु उसके लिये उचित समय का आना आवश्यक होता है। मगर हमारे पास सबुरी नहीं रहती है। अत: हम बार बार भगवान से यही पूछते रहते हैं कि, भगवंत मेरी यह इच्छा कब पुरी होगी? उसी तरह मैं भी बापूजी से पूछता रहता था। बापू को तो यह सब पता चलता ही था परन्तु मेरा उचित समय आने तक तो मुझे प्रतीक्षा करनी ही पडी।
एक दिन वह उचित समय आ गया और देखते ही देखते मेरे घर के ओटले पर गॅलरी बन भी गयी! यह सब बापूजी की कृपा से ही हुआ।
वास्तविक मजा तो आगे है। मेरे घर के ओटले के ऊपर बनी इस गैलरी का काम पूरा होने के बाद दिनांक 26 मई 2012 से ही मेरे घर अर्थात गांव नांदेल, पो. आगरदांडा, तहसिल मुरुड (जंजिरा) जिला रायगड में ही परमपूज्य अनिरुद्ध बापू का नया उपासना केंन्द्र सुरु हो गया। यही था वह उचित समय। जब हमारे द्वारा यह सेवा करवाने का समय आया, तभी घर का नूतनीकरण भी हो गया।
वर्तमान में इस अनिरुद्ध उपासना केन्द्र पर 110 लोगों की उपस्थिती रहती है।
मैं और मेरा सारा परिवार यानी पत्नी सपना, लडका सूरज, बेटी पूजा आदि सभी का बापू के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम!
जो जो मज स्मरे दृढभावे।
तयासी आनंदघन देईन मी।
मज सवे जो प्रेमे येईल ।
तयाचे अशक्य शक्य मी करीन ॥
(जो कोई दृढ भाव से मुझे याद करेगा उसे मैं बहुत आनंद दूंगा। जो प्रेम से मेरे साथ चलेगा उस के लिए असम्भव बात भी मैं सम्भव कर दूंगा।)
॥ हरि ॐ ॥