॥ हरि ॐ ॥
सद्गुरु बापू के अकारण कारूण्य के फलस्वरूप ही मैं सन् 2001 से बापू के सत्संग में नियमित रूप से आ रहा हूँ। अनेको कठिण परिस्थितीयों में सद्गुरु बापू ने मुझे बचाया है।
अभी अभी मुझे आया हुआ अनुभव मैं यहाँ लिख रही हूँ। 31 जनवरी 2010 के दिन मेरे छोटे बेटे की शादी बापू की कृपासे ही तय हो गयी। लड़की कल्याण की बापू भक्त ही है। शादी से पहले सगाई के लिये हम 11 अप्रैल को सवरे 6.00 बजे पुना से कल्याण के लिये निकले। हम तकरीबन 24-25 लोग थे। अत: खास बस की व्यवस्था की थी । सवेरे 11 बजे हम कल्याण पहुँच गये। कार्यक्रम ठीक से सम्पन्न हो गया। तय किए हुए कार्यक्रम के अनुसार शाम 4.30 बजे हम कल्याण से पुना के लिये रवाना हो गये। मेरे पति को एक बेहद जरुरी काम के कारण 8.00 बजे तक पुना पहुँचना ही था। अत: हम ठीक समय पर निकल पड़े।
लगभग लोनावला तक की यात्रा अच्छी तरह से हो गयी, परन्तु लोनावला से थोडा पहले ही हायवे पर हमारी बस का पट्टा टूट जाने के कारण बस बंद पड़ गयी। उस समय शाम के लगभग 6.00 बजे थे । बस बंद पडते ही मेरे पति ने जो भी साधन मिले उससे तुरंत पुना पहुँचने का निर्णय लिया। परन्तु हायवे पर कोई भी वाहन रूक ही नहीं रहा था। तभी बापू की कृपा से एक ट्रॅफिक पुलिस की व्हँन आ गयी और उन्होंने एक एसियाड बस रूकवाकर मेरे पति की समस्या हल कर दी।
इधर बस के ड्रायव्हर ने फोन करके मिकैनिक को बुलाने और आवश्यक पार्टस मंगाने का प्रयास शुरु किया। परन्तु कुछ भी नहीं हो पा रहा था। समय बीतता जा रहा था और अंधेरा भी बढता जा रहा था। उसके बाद 6.30 बजे तक पुलीस की दो तीन गाडियाँ आकर चली गईं परन्तु कोई भी उपाय नजर नहीं आ रहा था। अंतत: ड्रायव्हर ने कहा कि गाडी चालू नहीं हो सकती। यह सुनकर हम सभी निराश हो गये। सभी लोग अपने अपने परिचित लोगों से सहायता प्राप्त करने की कोशिश में लग गये।
जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था वैसे वैसे हमारी चिंताये भी बढती जा रही थी। मैं भी मन ही मन में घोरकष्टोद्धरण स्तोत्र, रामरक्षा जप रही थी। गाडी में उपस्थित आधे से ज्यादा लोग साठ वर्ष से ज्याद उम्रवाले थे। सभी महिलाओं ने गहने पहने हुए थे। मेरा मन भी भयभीत हो चुका था। मगर मेरे बापू में मेरा पूर्ण विश्वास होने की वजह से मुझे विश्वास था कि बापू कोई न कोई रास्ता अवश्य निकालेंगे।
इस बीच हम सबने रामरक्षा, मारूतीस्तोत्र और बापू के गजर जोर जोर से बोलने लगे। थोडी ही देर में दो मोटर सायकिलों पर सवार चार पुलिसवाले वहाँ पर आकर रूके। मेरे दोनों बच्चे भी बापू भक्त हैं। उनके गले में लॉकेट्स और मोबाईल में बापू के फोटो देखकर उन्होनें कहा, इस महामार्ग पर जहाँ जहाँ पर भी बापू भक्तों को प्राब्लेम आती है वहाँ पर हम पहुँचते ही हैं।
यह सुनकर तो मुझे ऐसा लगा कि मानो हमारी पुकार बापू ने सुन ली और उनके मुँह से बापू ही बोल रहे थे। उन चारों ने फोन करके लोनावला से तीन क्वालीस मंगवाईं और हमसे कहा कि जब तक आप यहाँ से रवाना नहीं हो जाते तब तक हम यहाँ से नहीं जायेंगे। ऐसा कहकर वे बातचीत करते हुये वहीं बैठे रहे।
हम बस में बैठकर जोर जोर से बापू की गजर गा रहे थे। मैंने बापूजी को जोर से आवाज लगाई और ‘आला अनिरूद्ध आला’ की धुन गाने लगी। तभी वे तीनों क्वालीस आ गयी। सभी लोगों ने राहत की साँस ली।
मुंबई पुना हायवे पर रात के 10 बजे तीन क्वालीसों का एक साथ मिलना। यह सिर्फ बापू ही अपने बच्चों के लिये कर सकते हैं । उनकी ही प्रेरणा से ये चार पुलीस वाले आये और तीन तीन क्वालीसों की व्यवस्था भी हो गयी। यदि बापू न होते तो क्या हुआ होता? हम नें रात कैसे बिताई होती, इस बात की कल्पना भी हम नहीं सक सकते। परन्तु ‘वो’ तो अपने शब्दों को सत्य साबित करता ही है। ‘तुम कहीं भी हो, मुझे पुकारोगे तो मैं जरुर आऊंगा।
हम सभी लोग लगभग 12.00 बजे पुना पहुँचे। आज तक गाडी लूटने की खबरें प्रतिदिन आती रहती है। हमारी गाडी में वृद्ध व्यक्ति थे, मेरी ढाई साल की पोती थी। परन्तु मेरे बापू माऊली ने उनके भक्तों का बाल भी बांका नहीं होने दिया।
ऐसी परिस्थिती में अपने आप ही मन में यह भाव उठता है कि, बापू हमेशा अपना वचन निभाते हैं।
हम सद्गुरु बापू के ऋणी है। मैं सद्गुरु बापू के चरणों में लोटांगण करती हूँ।
॥ हरि ॐ ॥